हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
إِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِن شَعَائِرِ اللَّـهِ ۖ فَمَنْ حَجَّ الْبَيْتَ أَوِ اعْتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِمَا ۚ وَمَن تَطَوَّعَ خَيْرًا فَإِنَّ اللَّـهَ شَاكِرٌ عَلِيمٌ इन्नस सफा वल मरवा मिन शाएरिल्लाहे फमन हज्जल बैता अवि तमारा फला जुनाहा अलैहे अन यत्तव्वफ़ा बेहेमा वमन ततव्वआ खैरन फइन्नल्लाहा शाकेरुन अलीम (बकरा 158)
अनुवादः निश्चय ही सफ़ा और मारवाह नाम की दो पहाड़ियाँ अल्लाह की निशानियों में से हैं। अतः जो कोई अल्लाह के घर का हज या उमरा करता है, उस पर कोई गुनाह नहीं है कि वह दोनों के बीच चक्कर लगाए और जो अपनी इच्छा से कुछ (अधिक) भलाई करता है, तो अल्लाह बड़ा गुणी और सर्वज्ञ है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ सफ़ा और मारवा के पहाड़ दो ऐसे प्रतीक हैं जिन्हें अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पूजा स्थल घोषित किया है।
2️⃣ अल्लाह उन लोगों का शुक्रगुज़ार है जो तवज्जोह और जोश के साथ अच्छे काम करते हैं।
3️⃣ सफा और मरवाह के बीच की सई हज और उमराह की बेहतरीन अदाओं में से एक है।
4️⃣ सदर-ए-इस्लाम के कुछ मुसलमान सफा और मारवाह के बीच सई के बारे में शिकायत करते थे और चाहते थे कि यह हज की रस्मों का हिस्सा न हो।
5️⃣ अच्छे कर्म करने वालों को अल्लाह तआला का इनाम मिलेगा।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
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